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कार्ल मार्क्स ( जन्म 5 मई , 1818 और मृत्यु 14 मार्च 1883 ) सम्पूर्ण संसार में मानव – मुक्ति के सबसे महान मसीहा थे । मानव – इतिहास को छोड़िए , पौराणिक चरित्रों में भी यूनानी पुराणों के देवता प्रामीथ्यूज को छोड़कर कोई भी ऐसा पात्र नहीं है , जिससे मार्क्स की तुलना की जा सके । प्रामीथ्यूज आग के अभाव में मानव के कष्टों को दूर करने के लिए स्वर्ग से चुराकर आग को धरती पर लाये थे । उनके इस अपराध के लिए पश्चाताप कर और माफी मांगने से इन्कार करने पर उन्हें जंजीरों से जकड़कर पहाड़ पर रखा गया और गरुण को उनका कलेजा खाने के लिए छोड़ा गया , जिसे उसने नोच – नोचकर खाया फिर उनका कलेजा बहाल कर दिया गया । अगले दिन फिर यही प्रक्रिया दोहरायी गयी और तब तक चालू रही जब तक बहुत समय बाद हरक्यूलीज ने उन्हें मुक्त नहीं किया । नवंबर 1843 में जर्मनी छोड़ने के बाद एक संपन्न परिवार में जन्मी और पनी उनकी पत्नी जो एक समृद्ध और ऊँचे सरकारी सामंत की बेटी थीं , फ्रांस और बेल्जियम से निकाले जाने पर स्वेच्छा से घोर गरीबी में जियीं । कई – कई दिन उन्हें रोटी का टुकड़ा भी नसीब नहीं होता था । उनके दो से अधिक प्यारे बच्चे जिनमें उनका सबसे प्यार बेटा ‘ मूज ‘ भी था , बिना दवा – दारू के चल बसे , जिन्हें वे अच्छा कफ़न भी न दे पाये । फिर भी उन्होंने मानव – मुक्ति के सिद्धांतों को खोज निकालने और मजदूरों के विश्व – आंदोलन में शामिल होने से तोबा नहीं की । उनके महान दोस्त और सहयोगी फ्रेडरिक एंगेल्स के शब्दों में जिस तरह डार्बिन ने प्राणि – जगत में विकास के नियमों को खोज निकाला था , उसी तरह मार्क्स ने भी मानव – इतिहास में विकास के नियमों की खोज की । यह सीधा सादा तथ्य भाववादी घटाटोप में ढँक गया था कि मनुष्य को राजनीति , विज्ञान , कला और मजहब पर ध्यान देने से पहले रोटी , पानी , कपड़ा और मकान की जरूरत होती..
ASIN : B0B528XRBH
Publisher : Shabdpeeth (1 January 2003)
Language : Hindi
Paperback : 164 pages
Reading age : 18 years and up
Country of Origin : India
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